tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post8979699301475521385..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: विश्वशान्ति -प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-12206821969001302432011-03-30T10:29:29.373-07:002011-03-30T10:29:29.373-07:00उस अथाह नीलाभ गगन से बरसेंगे दो बूँद
कि ले कर कौन ...उस अथाह नीलाभ गगन से बरसेंगे दो बूँद<br />कि ले कर कौन चले जीवन की अर्थी !<br /><br />बहुत बहुत खूब है दूसरी वाली पंक्ति.....जब जब पर्यावरण बचाओ सम्बन्धी विषयों में इस बाबत कुछ चर्चा सुनूंगी.......ये पंक्तियाँ याद आती रहेंगी.....बेहद खूबसूरत लगा इन पंक्तियों में उकेरा गया दृश्य.....जैसे जीवन rahit धरती पर मूक प्रकृति स्तब्ध मौन हो कुछ सोच रही हो..असमंजस में पड़ी हो.........<br /><br />''स्वयं मानव के करों में प्रलय है ,''<br />..हम्म...:( है तो....अब क्या कहा जाए इस पर !<br /><br />''और प्रकृति के हाथ उठायेंगे मानवता का शव !''<br /><br />'मानवता' की जगह ''मानव' होना चाहिए......सुनामी और भूकंप के बाद यही शब्द सटीक लगता है इस पंक्ति में.....जिस तरह से परमाणु विस्फोटों का जवाब दिया है प्रकृति ने एशिया में...उसे देख कर यही लगता है.......<br /><br />बहरहाल,<br />एक बहुत ही जागरूक कविता .....सब कुछ एक ही कविता में समेट डाला....ह्म्म्म...बस प्रकृति की तरफ से भी एकाध पंक्तियाँ होतीं कविता में (मनुष्य के कार्यों के विरोध में) तो दुगुना आनंद आता......:)<br /><br />आभार इस कविता के लिए..प्रतिभा जी!Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-85636626214025170832011-03-30T10:26:14.100-07:002011-03-30T10:26:14.100-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-49393752378736793462009-12-12T18:19:45.299-08:002009-12-12T18:19:45.299-08:00PRIY PRITBHA
HINDI KI JAISE SHUBR SHABDAWALI AAPKE...PRIY PRITBHA<br />HINDI KI JAISE SHUBR SHABDAWALI AAPKE PAS HAI BAHUT KAM DEKHNE KO MILATI HAI LEKIN AAPKI RACHNAYEN BAHUT LAMBI HONE KE KARAN AAKARSHAN KHO DETI HAIN ... LEKHAN KE SANDARBH MEIN EK HI SUTR KO DYAN MEIN RAKHIYE... SANKSHIPTTA AUR SAMPRESHNIYTA KA SANTULAN BANATE HUE SANKET MEIN SOUNDARY KA SRIJAN .. SAMBHAVNAYEN AAPME BAHUT UJJWAL HAIN ...श्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-87303085921595316672009-12-11T22:53:48.698-08:002009-12-11T22:53:48.698-08:00बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भ...बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-48425365832303668272009-12-11T22:51:58.485-08:002009-12-11T22:51:58.485-08:00LAJWAAB RACHNALAJWAAB RACHNAसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com