tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post8296011662342106379..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: भावी- वधू.प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-29410673208317565382014-03-23T19:26:55.801-07:002014-03-23T19:26:55.801-07:00पुन: पढ़ा तो कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक क...पुन: पढ़ा तो कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक के चतुर्थ अंक<br />में शकुन्तला की विदा के समय कण्व के शब्द याद आ गए -<br />"यास्यति अद्य शकुन्तलेति, हृदयम् संस्पृष्टं उत्कंठया ......"यही रचना की सार्थकता है ।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-53039209166069817332014-03-13T03:22:41.380-07:002014-03-13T03:22:41.380-07:00विवाह संस्कार का सजीव चित्रण । पुत्रियों को मान दे...विवाह संस्कार का सजीव चित्रण । पुत्रियों को मान देते भाव । अद्भुत रचना । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-28363166359498240532014-02-18T08:35:25.927-08:002014-02-18T08:35:25.927-08:00शब्द और भावों का संयोजन बहुत सुन्दर है
काश की हर ...शब्द और भावों का संयोजन बहुत सुन्दर है <br />काश की हर घर में वधु को ऐसा सम्मान मिले !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-63150343938269623382014-02-18T06:38:59.347-08:002014-02-18T06:38:59.347-08:00बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...अंतस को छूते अहसास....बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...अंतस को छूते अहसास...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-87498091699738280432014-02-18T00:16:53.384-08:002014-02-18T00:16:53.384-08:00एक कन्या जब दूसरे गृह में प्रवेश करती है तो नव उल्...एक कन्या जब दूसरे गृह में प्रवेश करती है तो नव उल्लास संग संग आता है <br />अपने संग कई चीजे लेकर आती है <br />सुन्दर शब्द चित्र <br />सादर !शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-67385153179940183812014-02-17T06:36:29.113-08:002014-02-17T06:36:29.113-08:00ओह , स्तब्ध कर देने वाली रचना !!
बाकी सलिल लिख चुक...ओह , स्तब्ध कर देने वाली रचना !!<br />बाकी सलिल लिख चुके हैं यहाँ !!<br />सादर प्रणाम !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-53453719317364013662014-02-16T23:19:59.571-08:002014-02-16T23:19:59.571-08:00अत्यंत ही भावुक और सशक्त, शुभकामनाएं.
रामराम.अत्यंत ही भावुक और सशक्त, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-45228417654719460352014-02-16T02:50:02.294-08:002014-02-16T02:50:02.294-08:00विवाह नए जीवन की शुरुआत है और नए अर्थ से सजने वाला...विवाह नए जीवन की शुरुआत है और नए अर्थ से सजने वाला संस्कार... कोणाल भावों से सजाया है इस रचना को ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-30167150126423711362014-02-15T23:11:17.055-08:002014-02-15T23:11:17.055-08:00आपने तो विवाह दृश्य ही सामने रख दिया जैसे .....बहु...आपने तो विवाह दृश्य ही सामने रख दिया जैसे .....बहुत ही कोमल,<br />मंगलमयी संजोकर रख लें ऐसी सुंदर रचना......आभार आपका ...<br /> Aditi Poonamhttps://www.blogger.com/profile/07454848082907747001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-75036098225012037042014-02-15T08:42:52.045-08:002014-02-15T08:42:52.045-08:00मंगलमय आशीष । ऐसे भाव ऐसी कामनाएं नारी को गौरव प्र...मंगलमय आशीष । ऐसे भाव ऐसी कामनाएं नारी को गौरव प्रदान करती है । ऐसा आसीर्वाद हर कन्या को मिले ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-28568028706382576742014-02-14T22:17:21.493-08:002014-02-14T22:17:21.493-08:00स्त्री के सम्मान में मेरा भी नमन. सुंदर रचना.स्त्री के सम्मान में मेरा भी नमन. सुंदर रचना.RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-52820137959906410362014-02-14T21:00:49.782-08:002014-02-14T21:00:49.782-08:00pratibha ji !kya sundar sugathit bhav yojna rahti ...pratibha ji !kya sundar sugathit bhav yojna rahti hai aapki pratyek drishy jo aap dikhana chahti hain swaroopit ho kar sammukh aa jata hai SADHUVAD Nirmal aroranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-88149831575279602392014-02-14T19:17:17.127-08:002014-02-14T19:17:17.127-08:00देवेन्द्र जी,
पुत्री के पिता का अंतर कुछ विशेष सं...देवेन्द्र जी,<br />पुत्री के पिता का अंतर कुछ विशेष संवेदनशील हो उठता है,यह सच है .सजग-सचेत पिता पुत्रियों से गौरवान्वित हो कर कितने तुष्ट होंगे हैं ,समय आने पर यह अनुभव भी करने को मिलेगा.<br />आभार !<br />ः फअऱथइआ शखअशएआ। प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-45623837554253502512014-02-14T19:09:44.348-08:002014-02-14T19:09:44.348-08:00पोस्ट शामिल करने हेतु आभार स्वीकारें !पोस्ट शामिल करने हेतु आभार स्वीकारें !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-53902972012233362152014-02-14T18:27:33.994-08:002014-02-14T18:27:33.994-08:00बंधु ,
आप तो स्नेह के अधिकारी है!
आपकी टिप्पणी अभ...बंधु ,<br />आप तो स्नेह के अधिकारी है!<br /> आपकी टिप्पणी अभिभूत कर गई . <br /> .पुत्री के पिता के मन की संवेदना की थाह कौन पा सका है(मैं आज समझ पाया पुत्री के विवश पिता का दुख अछोर,उर पर पहाड़-सा बोझ धरे आँसू से आँजे नयन कोर ).<br />अपने रीति-रिवाज़ों में पुत्री और वधू को जो संरक्षण और महत्व प्राप्त है लोग उसे भूलते जा रहे हैं ,जो उचित व्यवहार उनके लिए अपेक्षित है उस पर कोई ध्यान नहीं देता -इसीलिये ,ये विडंबनाएँ !पर संस्कारशील परिवारों में अभी भी ये मर्यादाएं जीवित हैं और बाहर की दुनियाँ के प्रति में उनकी बढ़ी हुई चिन्ताएं जायज़ है <br />लेकिन समर्थ बना कर और सावधान संरक्षण दे कर पुत्री को ,वांछित जीवन प्रदान कर सकेंगे यह मुझे पूरा विश्वास है .<br />स्नेह और आदर सहित,<br /> - प्रतिभा सक्सेना.<br /><br /><br /> <br /> प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-14067265844229465222014-02-14T16:34:25.285-08:002014-02-14T16:34:25.285-08:00मन में एक चित्र उकेरती गयी यह रचना. बहुत सुन्दर.मन में एक चित्र उकेरती गयी यह रचना. बहुत सुन्दर.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-17705725602926318902014-02-14T15:37:54.078-08:002014-02-14T15:37:54.078-08:00वात्सल्य की सुकोमल भावनाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति आँ...वात्सल्य की सुकोमल भावनाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति आँखों के आगे दृश्य उपस्थित कर देती है।कन्या/ पुत्री को महिमामंडित करना मन को छू गया । विवाहोत्सव का आनन्द देने के लिए आभार !! एक अनूठी प्रस्तुति!!शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-71575666366389319862014-02-14T08:20:02.098-08:002014-02-14T08:20:02.098-08:00सुन्दर मांगलिक अभिव्यक्ति .....सुन्दर मांगलिक अभिव्यक्ति .....निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-23139109696465832172014-02-14T06:08:01.315-08:002014-02-14T06:08:01.315-08:00वाह! आनंद आ गया पढ़कर।
धुमिल ने कहा है- अब कविता ...वाह! आनंद आ गया पढ़कर।<br /><br />धुमिल ने कहा है- अब कविता में एकालाप ही सुनाई देता है। सही कहते हैं। रिश्तों की रूनझुन नहीं सुनाई देती, एकल आक्रोश ही झलकता है। <br /><br />लेकिन यहाँ रिश्तों की रूनझुन भी है, संस्कार भी है, संस्कृति भी। पुत्रियों का पिता होने के नाते यह कविता और भी हृदय को झंकृत कर देती है। <br /><br />संग्रहणीय कविता के लिए आभार।<br />देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-26282208292988190352014-02-14T05:50:28.436-08:002014-02-14T05:50:28.436-08:00सुन्दर रचना, विवाह और विवाहितों को ऐसा ही सम्मान द...सुन्दर रचना, विवाह और विवाहितों को ऐसा ही सम्मान देता रहे समाज।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-23559894203484047732014-02-14T05:40:32.380-08:002014-02-14T05:40:32.380-08:00कविता एक वधु के समान पग धरते धरते हृदय में समा गई ...कविता एक वधु के समान पग धरते धरते हृदय में समा गई और एक पुत्री का पिता होने के कारण नेत्र सजल हो उठे... समाज में व्याप्त नारी के प्रति हो रहे अत्याचार को ध्यान में रखते हुए, इस कविता की कोमलता को जब गुनता हूँ तो भयाक्रांत हो उठता है मन!! <br />कोई संगीतकार इस रच्ना को स्वरबद्ध करता तो यह एक अमर गीत बन सकता है!<br />चरण स्पर्श की अनुमति दें!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-5732943020616400872014-02-14T04:30:09.989-08:002014-02-14T04:30:09.989-08:00शब्द शब्द हृदय पर उतार गया ...!!बहुत सुंदर रचना .....शब्द शब्द हृदय पर उतार गया ...!!बहुत सुंदर रचना ....!!संग्रहणीय है ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-33024656363117446952014-02-14T02:02:09.371-08:002014-02-14T02:02:09.371-08:00काश ! ऐसा ही मान सबको मिलता..अति सुन्दर ..काश ! ऐसा ही मान सबको मिलता..अति सुन्दर ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-68446617356000916062014-02-13T20:59:46.095-08:002014-02-13T20:59:46.095-08:00दुल्हन के आगमन से कैसे उल्लास से भर जाता है घर का ...दुल्हन के आगमन से कैसे उल्लास से भर जाता है घर का आंगन..दोनों कुलों का जो मान बढ़ाती है वह सुकन्या ही तो है..सुंदर शब्द चित्र !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-23371550298558239242014-02-13T20:45:25.203-08:002014-02-13T20:45:25.203-08:00bahut sundar bhavi vadhu ke swagat
NEW POST बनो ध...bahut sundar bhavi vadhu ke swagat <br />NEW POST<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/02/blog-post_11.html#links" rel="nofollow"> बनो धरती का हमराज !</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.com