tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post2110300631176319676..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: भूख -प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-88302872079579780582011-02-08T11:16:44.340-08:002011-02-08T11:16:44.340-08:00यह सर्वभक्षी सर्वव्यापी भूख
जब कुछ नहीं पाती तो अप...यह सर्वभक्षी सर्वव्यापी भूख<br />जब कुछ नहीं पाती तो अपने पात्र को ही चाटती है ,<br />अपनी तीक्ष्ण जिह्वा से<br />तिल-तिल कर सुखाती है ,<br />सोख लेती है एक-एक रोम उसके शरीर का !<br /><br />बहुत ही मजबूत और सार्थक पंक्तियाँ....पराकाष्ठा है भूख की....पहली बार इतने सशक्त लहज़े में पढ़ने को मिली......शायद अपनेपन को पाने की भूख और तलब भी ऐसी ही होती होगी....कोई अपना कहने वाला नहीं मिलता होगा तो एकाकी पाकर मन को ही खा खा के खोखला कर देती है...:(<br /><br />क्योंकि, दसरे को देख <br />वह अपनी ही यंत्रणा को बार-बार जीता है <br /><br />..हम्म...ये बात तो हर तरह के दुःख के लिए सही ही कही है आपने....जहाँ दुःख एक हो जाते हों दो लोगों के...तो परस्पर परिचय की उतनी आवश्यकता नहीं रह जाती....पीड़ा के बंधन मन को स्वयं जोड़ देते हैं.......ऐसा कई दफे मैंने खुद महसूस किया है...:)<br /><br />बधाई रचना के लिए !Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-2531607546787442462010-08-08T20:30:43.478-07:002010-08-08T20:30:43.478-07:00पेट की भूख क्या क्या नहीं कराती है।पेट की भूख क्या क्या नहीं कराती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com