tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post1847833033321528848..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: सद्य स्नाता -प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-43452246969604895872011-03-09T00:45:25.919-08:002011-03-09T00:45:25.919-08:00प्रकृति के रूप का वर्णन करती बेहतरीन कविता ! बहुत ...प्रकृति के रूप का वर्णन करती बेहतरीन कविता ! बहुत अच्छा लगा पढ़कर !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-64361690675534725462011-02-12T11:19:27.392-08:002011-02-12T11:19:27.392-08:00कितना साधारण है भोर का दोपहर और फिर सांझ में ढलना....कितना साधारण है भोर का दोपहर और फिर सांझ में ढलना.....मगर आपने उसे भी असाधारण बना ही दिया..........बहुत मनमोहक लगा हर दृश्य.....:)Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-34345732466417824012011-02-06T18:44:23.651-08:002011-02-06T18:44:23.651-08:00प्रशंसनीय अभिव्यक्ति ।प्रशंसनीय अभिव्यक्ति ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-208506115874351742011-02-02T18:31:27.963-08:002011-02-02T18:31:27.963-08:00आपकी कविता मन के तारों को झंकृत कर गयी।सांध्य चित्...आपकी कविता मन के तारों को झंकृत कर गयी।सांध्य चित्रण अच्छा लगा।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-54440150401112469842011-01-30T22:50:00.312-08:002011-01-30T22:50:00.312-08:00प्रतिभा जी, इस कविता ने मन मोह लिया।
सौन्दर्य का उ...प्रतिभा जी, इस कविता ने मन मोह लिया।<br />सौन्दर्य का उत्कृष्ट चित्रणशिवाhttps://www.blogger.com/profile/14464825742991036132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-60087538778321122082011-01-28T20:28:27.937-08:002011-01-28T20:28:27.937-08:00डूब-डूब , मल-मल नहायेगी रात भर .
बड़े भोर निकलेगी ...डूब-डूब , मल-मल नहायेगी रात भर .<br />बड़े भोर निकलेगी जल से .<br />उजले-निखरे स्निग्ध तन से झरते<br />जल-सीकर घासों पर बिखेरती , <br />आदरणीय प्रतिभा जी <br /><br />आपने बहुत सुंदर चित्रण किया है ..बहुत खूबकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-30575298944501266092011-01-28T19:00:30.977-08:002011-01-28T19:00:30.977-08:00सायंकालीन और प्रभातकालीन संधिप्रकाश प्रहर की सन्ध्...सायंकालीन और प्रभातकालीन संधिप्रकाश प्रहर की सन्ध्या एवं उषा के<br />नारी रूप को सद्यस्नाता नारी के सांगोपांग रूप से सुसज्जित करके जो मोहक चित्र प्रस्तुत किया गया है, वह अद्भुत है। अनूठा है।<br />आपकी कमनीय कल्पना की सुललित अभिव्यक्ति का साधुवाद!!!शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-6992047012259978752011-01-28T18:04:12.078-08:002011-01-28T18:04:12.078-08:00साँझ ही इनती खूबसूरत थी या इन शब्दों का जामा पहन क...साँझ ही इनती खूबसूरत थी या इन शब्दों का जामा पहन कर हो गयी ..सोच में हूँ !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-47443689050714421702011-01-28T15:59:04.282-08:002011-01-28T15:59:04.282-08:00हिंदी में सभी बड़े कवियों ने संध्या का चित्रण किया...हिंदी में सभी बड़े कवियों ने संध्या का चित्रण किया है. आपका यह चित्र अछूते रूपक के सहारे उसका सर्वथा मौलिक दिशा में विकास करता है.<br /><br />लोकजीवन और लोकशब्दों की यह ताजगी आज दुर्लभ होती जा रही है.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-52776178180876564642011-01-28T08:26:35.774-08:002011-01-28T08:26:35.774-08:00बड़ा अच्छा चित्रण किया है आपने।बड़ा अच्छा चित्रण किया है आपने।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-72029762790909500602011-01-28T08:16:52.248-08:002011-01-28T08:16:52.248-08:00सौन्दर्य का उत्कृष्ट चित्रण।सौन्दर्य का उत्कृष्ट चित्रण।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-76642278110689473102011-01-28T07:24:41.616-08:002011-01-28T07:24:41.616-08:00सांझ का सुन्दर वर्णन ...मानवीकरण मन को भा गया ..सांझ का सुन्दर वर्णन ...मानवीकरण मन को भा गया ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-89506682138110578342011-01-28T04:43:39.885-08:002011-01-28T04:43:39.885-08:00प्रतिभा जी, इस कविता ने मन मोह लिया। आप ने संध्या ...प्रतिभा जी, इस कविता ने मन मोह लिया। आप ने संध्या को इतने खूबसूरत रूप में देखा और दिखाया है कि मैं अभिभूत हो गया। प्रकृति के नर्तन को इस तरह अभिव्यक्त करना, मेरे पास अभिव्यक्ति के लिए शब्द नहीं हैं। <br />इस कविता के लिए आप को बहुत बहुत बधाई। <br />जब तक मनुष्य रहेगा, यह कविता इसी तरह युवा बनी रहेगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-69130330363142544722011-01-28T01:23:49.711-08:002011-01-28T01:23:49.711-08:00संध्या का सौंदर्य, नारीकरण और और गैरिक-उजले वस्त्र...संध्या का सौंदर्य, नारीकरण और और गैरिक-उजले वस्त्र, सौंदर्य अटा पड़ा है। मोहक चित्र उभर आए..Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.com