tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post1357342035555471435..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: देह-उपल.प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-33155587234140374272013-05-21T04:23:53.136-07:002013-05-21T04:23:53.136-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-33682414574046491722013-05-06T06:04:47.583-07:002013-05-06T06:04:47.583-07:00जीवन के तत्थ्य उजागर करती भाव पूर्ण रचना |
आशा जीवन के तत्थ्य उजागर करती भाव पूर्ण रचना |<br />आशा Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-51151855490896493302013-05-06T02:07:18.103-07:002013-05-06T02:07:18.103-07:00अपना अपना धर्म निभाना किसी के लिए बी आसान नहीं होत...अपना अपना धर्म निभाना किसी के लिए बी आसान नहीं होता ... पर प्राकृति कई बार स्वयं ही ये सब करवाती है ...<br />दार्शिनिकता से आध्यात्म की और ले जाती रचना ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-38206715962243837022013-05-06T02:00:44.271-07:002013-05-06T02:00:44.271-07:00प्रतीकवाद ,छायावाद और दार्शनिकता का बेजोड समन्वय स...प्रतीकवाद ,छायावाद और दार्शनिकता का बेजोड समन्वय सराहनीय है | देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-76425371510772709282013-05-05T22:42:54.683-07:002013-05-05T22:42:54.683-07:00badi achchi lagi aapki kavita.....badi achchi lagi aapki kavita.....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-35574024334279904812013-05-05T22:17:59.415-07:002013-05-05T22:17:59.415-07:00तरह-तरह का क्लेश निशि भर भोगती रहती देह..लगा कर लह...तरह-तरह का क्लेश निशि भर भोगती रहती देह..लगा कर लहरों से नेह..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-24690240342268915192013-05-05T17:40:29.565-07:002013-05-05T17:40:29.565-07:00जीवन की धारा नित्य प्रवाहित होती रहे,रुके नहीं-इसी...जीवन की धारा नित्य प्रवाहित होती रहे,रुके नहीं-इसी में सुख है।<br /><br />"हँस खेलकर जीवन बिताना, दीखता आसान है।<br />आसान पर मुश्किल बहुत,मुश्किल बड़ी आसान है।।"<br /><br />जीवन की गहराइयों को छूती सराहनीय रचना।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-49156971869428717662013-05-04T05:46:47.123-07:002013-05-04T05:46:47.123-07:00गहन भाव लिए कविता..गहन भाव लिए कविता..रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-49938329665187904162013-05-04T02:52:30.178-07:002013-05-04T02:52:30.178-07:00मन की अतल गहराई को नापती
जीवन क्या है को व्यक्त क...मन की अतल गहराई को नापती <br />जीवन क्या है को व्यक्त करती रचना <br />बधाई<br /><br /><br /><br />आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे<br />http://jyoti-khare.blogspot.inJyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-37735167509594620662013-05-03T22:43:04.516-07:002013-05-03T22:43:04.516-07:00बहुत आभार वन्दना जी !बहुत आभार वन्दना जी !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-55715806052169700272013-05-03T19:17:18.420-07:002013-05-03T19:17:18.420-07:00चाहत और यथार्थ की कशमकश ......जीवन जितना सरल ...उ...चाहत और यथार्थ की कशमकश ......जीवन जितना सरल ...उतना ही कठिन भी ....!!बहुत गहन अभिव्यक्ति है .....सोचने को रुक गया है मन .....!!<br />बहुत सुन्दर रचना ....संग्रहणीय ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-74708799385068628542013-05-03T19:09:50.944-07:002013-05-03T19:09:50.944-07:00आज न जाने क्यों वक़्त कुछ ठहर सा गया लगता है
सुप्...आज न जाने क्यों वक़्त कुछ ठहर सा गया लगता है <br />सुप्रभात माता जी प्रणाम स्वीकारें Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-40618950644461181112013-05-03T10:25:55.880-07:002013-05-03T10:25:55.880-07:00बोझ बाँध लेंगें तो गति कम ही होगी ..... गहरी अभिव...बोझ बाँध लेंगें तो गति कम ही होगी ..... गहरी अभिव्यक्ति डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-58513417711737788982013-05-03T10:21:45.520-07:002013-05-03T10:21:45.520-07:00आभारी हूँ अनिता जी,
उपल = पत्थर .आभारी हूँ अनिता जी,<br />उपल = पत्थर .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-51400424749446143442013-05-03T03:27:41.855-07:002013-05-03T03:27:41.855-07:00अजीब कशमकश है...
गहरे भाव अजीब कशमकश है...<br />गहरे भाव shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-30010231055878408812013-05-03T02:25:20.449-07:002013-05-03T02:25:20.449-07:00प्रतिभा जी, ...सुंदर भाव युक्त रचना.. उपल का क्या ...प्रतिभा जी, ...सुंदर भाव युक्त रचना.. उपल का क्या अर्थ है ? वैसे हर कोई सब कुछ तो नहीं कर सकता..जिसको जो सौंपा है काम वही कर ले तो काफी हैAnitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-47824572295403855002013-05-03T01:38:27.898-07:002013-05-03T01:38:27.898-07:00कितना कुछ लेकर कहाँ उड़ सकते हैं, कहाँ बह सकते हैं...कितना कुछ लेकर कहाँ उड़ सकते हैं, कहाँ बह सकते हैं, बस घिसट सकते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-32304678378111831562013-05-03T01:12:33.562-07:002013-05-03T01:12:33.562-07:00बहुत ही सुन्दर कविता बहुत ही सुन्दर कविता जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-55720273972573876802013-05-02T23:09:27.672-07:002013-05-02T23:09:27.672-07:00न धार में बह सकते हैं और न स्थिर रह सकते हैं .......न धार में बह सकते हैं और न स्थिर रह सकते हैं .... बहुत गहन भाव लिए सोचने पर विवश करती रचना संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com