tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post7621408551547355552..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: भिक्षां देहि !प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-68642344304979142272012-10-14T05:32:59.617-07:002012-10-14T05:32:59.617-07:00... नि:शब्द..... नि:शब्द..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-24804979486757321852012-10-10T19:50:05.337-07:002012-10-10T19:50:05.337-07:00मार्मिक हृदयस्पर्शी प्रस्तुति.
आपकी कलम को नमन.मार्मिक हृदयस्पर्शी प्रस्तुति.<br />आपकी कलम को नमन.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-77257074603486148762012-09-30T01:41:22.674-07:002012-09-30T01:41:22.674-07:00इतनी ज़रूरी, गहरी और पैनी कविता पढ़ के हृदय भीतर तक...इतनी ज़रूरी, गहरी और पैनी कविता पढ़ के हृदय भीतर तक काँप गया, प्रतिभाजी! ... सादर शार <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-68727027568816407122012-09-17T07:40:06.541-07:002012-09-17T07:40:06.541-07:00मैं जब भी यह कविता पढता हूँ, आत्मा से आपका आभार व्...मैं जब भी यह कविता पढता हूँ, आत्मा से आपका आभार व्यक्त होता है। Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-15420393522848138892012-09-16T01:29:47.140-07:002012-09-16T01:29:47.140-07:00मन भर आया।मन भर आया।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-77232087752653796302012-09-15T05:30:07.849-07:002012-09-15T05:30:07.849-07:00बहुत गहन अभिव्यक्ति ...माँ की पुकार सुनना ही है .....बहुत गहन अभिव्यक्ति ...माँ की पुकार सुनना ही है ....अपना कर्तव्य निभाना ही है ...!!प्रण लेना ही है ...!!<br />सार्थक सृजन ...!!<br />abhar ..!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-48601756009002925422012-09-14T22:00:18.015-07:002012-09-14T22:00:18.015-07:00बहुत ही सशक्त और करुण पुकार ......गहन रचना !बहुत ही सशक्त और करुण पुकार ......गहन रचना !Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-66031470013120066182012-09-14T18:13:37.216-07:002012-09-14T18:13:37.216-07:00माँ भारती की यह पुकार अत्यन्त कारुणिक और मार्मिक ह...माँ भारती की यह पुकार अत्यन्त कारुणिक और मार्मिक है।अपने उत्कर्ष के प्रति उदासीन या विमुख पुत्रों के लिए जागृति का संदेश लिये एक उद्बोधन भी है।ये ह्रास चिन्तनीय है।सतत प्रयास की आवश्यकता है।<br />मानस-मंथन करती सुन्दर प्रस्तुति के लिए साधुवाद!!शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-3234391063791851432012-09-14T10:13:54.602-07:002012-09-14T10:13:54.602-07:00काश यह करूँ पुकार सबके कानों तक पहुंचे और साथ ही च...काश यह करूँ पुकार सबके कानों तक पहुंचे और साथ ही चिंतन भी हो ...तब कुछ बात बने Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-77497269457517902132012-09-14T09:44:07.322-07:002012-09-14T09:44:07.322-07:00बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-21674843526748358422012-09-14T08:15:00.186-07:002012-09-14T08:15:00.186-07:00माँ भारती सबसे अधिक सक्षम है, इतनी प्राचीन काल से ...माँ भारती सबसे अधिक सक्षम है, इतनी प्राचीन काल से अस्तित्व में हें कि उनके बेटे और बेटियाँ उनके अस्तित्व को कभी क्षीण नहीं होने देंगे. संकल्प तो हमको ही लेना है और लेते हें कि माँ भारती विश्व के पटल पर अपने परचम को लहराएगी.<br />रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-18588755703459398852012-09-14T08:06:14.798-07:002012-09-14T08:06:14.798-07:00बीत रही जननी,तुम्हारी ,मैं भारती ,
खड़ी यहाँ व्याक...बीत रही जननी,तुम्हारी ,मैं भारती ,<br />खड़ी यहाँ व्याकुल हताश<br />बार-बार कर पुकार -<br />'देहि भिक्षां,<br /> पुत्र,भिक्षां देहि'!<br /><br />माता जी को प्रणाम .क्या कहूँ आपके प्रेम को साहित्य का यूँ ही सम्मान आपके ह्रदय में बना रहे जो सदा हमारा मार्गदर्शन करता रहे . Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-75471400956899604282012-09-14T02:31:20.174-07:002012-09-14T02:31:20.174-07:00स्वयं में सक्षम है भारती , लेकिन जब उसके पुत्र ही...स्वयं में सक्षम है भारती , लेकिन जब उसके पुत्र ही अनादर करें तो क्या कहा जा सकता है .... काश यह करूँ पुकार सबके कानों तक पहुंचे और साथ ही चिंतन भी हो ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-63916627445556442712012-09-14T02:26:22.443-07:002012-09-14T02:26:22.443-07:00kais waqt aa gaya hai .kais waqt aa gaya hai .अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-57284034186949423632012-09-14T01:35:51.909-07:002012-09-14T01:35:51.909-07:00दारुण व्यथा पुकार -
भिक्षां देहि, पुत्र !
देहि में...दारुण व्यथा पुकार -<br />भिक्षां देहि, पुत्र !<br />देहि में भिक्षां'...<br /><br />इस दयनीय हालत के लिए उसके पुत्र ही जिम्मेवार हैं ... अगर थोरा भी सामान होता उनमें तो माँ को ऐसी नौबत ही क्यों आती ...<br />अभी भी समय है हिंदी के पुत्र जागो ...<br />झकझोरती है आपकी रचना ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-66881808860585383742012-09-14T00:29:16.987-07:002012-09-14T00:29:16.987-07:00कुछ नहीं डूबेगा, भागीरथ गंगा लेकर आयेंगे।कुछ नहीं डूबेगा, भागीरथ गंगा लेकर आयेंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-26736177888855942802012-09-14T00:12:03.693-07:002012-09-14T00:12:03.693-07:00दारुण व्यथा पुकार -
भिक्षां देहि, पुत्र !
देहि में...दारुण व्यथा पुकार -<br />भिक्षां देहि, पुत्र !<br />देहि में भिक्षां'.... भरा है अपना भण्डार,पर दूसरे भण्डार के आगे लगी है कतार...कोई तो सुने यह दारुण पुकार रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com