tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post7396091538066553198..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: अनिर्वचप्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-11910395890312149662011-02-10T11:27:47.104-08:002011-02-10T11:27:47.104-08:00ओह! मैं सोच रही थी..कि प्रश्न बहुत साधारण है शायद....ओह! मैं सोच रही थी..कि प्रश्न बहुत साधारण है शायद..सो आपने उत्तर नहीं देना चाहा...:-o मगर आज यूँ ही ये कविता दोहराने आई...तो आपका उत्तर भी देखा...उत्तर जानकर समझ आया..कि जब मैंने गूगल से ये नाम देखा था तो दोनों ही शब्द सामने आये...मैं निश्चित ही नहीं कर पायी क्या सही होगा..:( <br />आपने समाधान किया..समय दिया...शुक्रिया :)<br /><br />''तरु, तुम इतने मन से पढ़ती हो -'' हम्म बहुत मन से...वरना मुझे समझ नहीं आती कवितायेँ..:(<br /><br />''मेरा मन तुम्हारे प्रति कृतज्ञता का अनुभव करता है '' ...इस बात के लिए चंद शब्द कहने थे..कभी और कहूँगी....न ये जगह मुनासिब है न वक़्त....:)<br /><br />aabhar !Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-4420563496208066742011-02-07T10:22:29.673-08:002011-02-07T10:22:29.673-08:00तरु से -
'और प्रतिभा जी क्षिप्रा शब्द सही है ...तरु से -<br /><br />'और प्रतिभा जी क्षिप्रा शब्द सही है या शिप्रा...??..वक़्त मिले तो बताईयेगा'<br /><br />समाधान-<br />The word Shipra(शिप्रा)is used as a symbol of "purity" (of soul, emotions, body, etc.) or "chastity" or "clarity".<br />क्षिप्रा < क्षिप्र से बना है,क्षिप्र= तीव्र .<br />उज्जैन की इस नदी के लिए दोनों शब्द प्रयुक्त होते है .लेकिन मुझे शिप्रा अधिक उपयुक्त लगा <br /> इसका उच्चारण करना भी अधिक आसान है.<br />तरु, तुम इतने मन से पढ़ती हो -मेरा मन तुम्हारे प्रति कृतज्ञता का अनुभव करता है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-74320088779366554522011-01-28T01:05:14.978-08:002011-01-28T01:05:14.978-08:00एक दिन पत्थर पिघल
कर ही रहेंगे ,
यह नदी की राह सू...एक दिन पत्थर पिघल<br />कर ही रहेंगे , <br />यह नदी की राह सूखी नहीं,<br />मेरे अश्रु जल से सिंच रही ,<br /><br />:)<br /><br />पहली बार पढ़ा तो शब्दों में उलझ गयी...फिर पढ़ा..तो काफी हद तक अर्थ समझ पायी..आखिरी दो para बहुत दिक्क़त दे रहे थे...ऊपर से ''अनिर्वच'' का to अर्थ tak नहीं पता था...:(...फिर पता किया गूगल से....तब बहुत बाद में जाकर भी आखिरी पंक्तियाँ नहीं समझ आयीं........तब आपके ह्रदय की जानिब से सोच कर देखा.....कैलिफोर्निया में रहते हुए...शायद माँ क्षिप्रा को इसी तरह कोई याद कर सकता है....इस भाव से पढ़ा तो कविता अंतर्मन में खुल गयी......समझ आया कि कौन से पत्थर पिघलेंगे..नदी की कौन सी राह अभी तक नम है....किसका जन्म होगा....:)<br /><br />परदेस में रहते हुए अपने देश को मन में महसूस करता ...एक कवि ह्रदय....शायद इस कविता में व्याकुल हो उठा है....मगर जल्द ही खुद पर मन के भावों पर काबू पा लेता है...और अंत में खुद को विश्वास दिला रहा है.......ह्रदय की परतों के तले अविराम बहती हुई माँ क्षिप्रा की कल-कल का...और स्मृतियों की उस राह का....जहाँ से अश्रुपूरित नयन जाकर माँ क्षिप्रा के चरणों में इस स्नेह बंधन का अर्ध्य देते रहते हैं।<br /><br />माँ नर्मदा के बेहद करीब हूँ....कविता समझने के लिए...मैंने मन को सात समंदर पार bhi धकेला था..और फिर सोच कर देखा...कि..मैं माँ नर्मदा के लिए क्या महसूस करुँगी..?<br /><br />baharhaal,<br />शुक्रिया है बहुत इस कविता को लिखने के लिए...इसे पढ़कर माँ नर्मदा के लिए कुछ नए भाव उमड़े ...कभी कर पायी तो पंक्तिबद्ध करूंगी। uska shrey aapko jata hai..agrim dhanyawaad..<br /><br />(..और प्रतिभा जी क्षिप्रा शब्द सही है या शिप्रा...??..वक़्त मिले तो बताईयेगा... :( )Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-67275437740996153632010-10-20T22:58:52.621-07:002010-10-20T22:58:52.621-07:00बहुत सुन्दर कविता...अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दु...बहुत सुन्दर कविता...अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आयें.Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-46592920620193247112010-10-19T01:27:08.046-07:002010-10-19T01:27:08.046-07:00रूखे हुए मन,
चुक गई संवेदनाएँ...
I read it again...रूखे हुए मन,<br /><br />चुक गई संवेदनाएँ...<br /><br />I read it again and found the lines very appealing. <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-30700995901135508522010-10-14T08:26:51.638-07:002010-10-14T08:26:51.638-07:00एक दिन बह आयगा जल ,
एक दिन पत्थर पिघल
कर ही रहें...एक दिन बह आयगा जल ,<br /><br />एक दिन पत्थर पिघल<br /><br />कर ही रहेंगे ,<br /><br />यह नदी की राह सूखी नहीं,<br /><br />मेरे अश्रु जल से सिंच रही ,<br /><br />अविराम शिप्रा बह रही है .<br /><br /><br />behad khoobsurat rachna !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-7917612783183579202010-10-03T05:05:39.171-07:002010-10-03T05:05:39.171-07:00bahot sunder.bahot sunder.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-84896079791442190202010-09-29T19:46:46.061-07:002010-09-29T19:46:46.061-07:00सुन्दर प्रस्तुति
....शुभकामनाएं।सुन्दर प्रस्तुति<br />....शुभकामनाएं।कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-38445753991358021702010-09-27T11:58:05.520-07:002010-09-27T11:58:05.520-07:00उज्जयिनी मे इस शिप्रा के किनारे बहुत समय बिताया है...उज्जयिनी मे इस शिप्रा के किनारे बहुत समय बिताया है अच्छी लगी यह रचना ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-17989201408518416122010-09-26T14:14:41.515-07:002010-09-26T14:14:41.515-07:00आशा जी,
आपने रुचिपूर्वक 'अनिर्वच' पढ़ी और ...आशा जी,<br />आपने रुचिपूर्वक 'अनिर्वच' पढ़ी और प्रतिक्रिया दी ,आभारी हूँ.<br />मेरा, अपने देश की सभी नदियों से रिश्ता है ( उदाहरणार्थ -मेरे ब्लाग 'लालित्यम्'का 'गंगातीरे'आलेख) पर जिसके साथ रह कर उसे जाना -समझा है ,अपनी बात उसी माध्यम से अच्छी तरह कह पाती हूँ .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-58777185025600737182010-09-24T15:38:13.127-07:002010-09-24T15:38:13.127-07:00अनामिका जी ,
जो करता है वही तो कहीं-न-कहीं चूकता ह...अनामिका जी ,<br />जो करता है वही तो कहीं-न-कहीं चूकता है आप बहुत अच्छा कर रही हैं(अपना भी ध्यान रखें).कभी कहीं कुछ रह जाय तो बहुत सहजता से लें,नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा .<br />मेरी शुभ-कामनाएं स्वीकारें.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-59358411754445463792010-09-24T09:32:53.560-07:002010-09-24T09:32:53.560-07:00निरंतर प्रवाह बना रहे..अनन्त शुभकामनाएँ.निरंतर प्रवाह बना रहे..अनन्त शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-87345318684144079132010-09-24T09:10:18.132-07:002010-09-24T09:10:18.132-07:00साथियो,
घर गृहस्थी, बच्चों और ऑफिस की जिम्मेवारिय...साथियो, <br />घर गृहस्थी, बच्चों और ऑफिस की जिम्मेवारियों को निभाते हुए थोडा वक्त चुरा कर ये चर्चा मंच कड़ी मेहनत से देर रात तक बैठ कर तैयार करती हूँ. सभी गद्य और पद्य सामग्री को पढ़ कर और उन पर अपने विचार जोड़ते हुए काफीसमय भी लग जाता है. इसी समयाभाव के दबाव के रहते लाज़मी है कई बार गल्तियाँ हो जाती हैं जिनके लिए मैं तहे दिल से क्षमा प्रार्थी हूँ. खास तौर से प्रतिभा सक्सेना जी का जो नाम गलत लिखा गया और मीडिया की जगह मीडीया लिखा गया. प्रतिभा जी, ऑफिस से शाम को घर पहुँचने के बाद ही मैं ये भूल सुधार कर सकती थी इसलिए विलम्ब हुआ. इसलिए देरी के लिए भी क्षमा चाहती हूँ.<br /><br />आप सभी पाठक गणों के प्रोत्साहन, मार्गदर्शन और नज़रे करम इसी प्रकार मिलते रहें इस के लिए आप सब की बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.<br /><br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-60314465928120034332010-09-23T23:16:13.098-07:002010-09-23T23:16:13.098-07:00क्षिप्रा से आपका बहुत गहरा रिश्ता लगता है |बहुत अच...क्षिप्रा से आपका बहुत गहरा रिश्ता लगता है |बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-44829417126102452032010-09-23T11:35:11.361-07:002010-09-23T11:35:11.361-07:00आप की रचना 24 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लि...आप की रचना 24 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.<br />http://charchamanch.blogspot.com<br /><br /><br />आभार <br /><br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-3715787816290664612010-09-23T05:33:28.176-07:002010-09-23T05:33:28.176-07:00बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
आभार, आं...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html" rel="nofollow">आभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!</a><br /><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/09/2_23.html" rel="nofollow"> अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-11123280206231263462010-09-22T23:52:46.083-07:002010-09-22T23:52:46.083-07:00मैं नहीं सूखी , चुके तुम ,
बोध कुंठित हो गए ,
र...मैं नहीं सूखी , चुके तुम ,<br /><br />बोध कुंठित हो गए , <br /><br />रूखे हुए मन,<br /><br />चुक गई संवेदनाएँ<br /><br />सटीक बात कही है ...<br /><br /><br />कौन रोकेगा मुझे,<br /><br />मैं हूं चिरंतन , <br /><br />वह अनिर्वच कह रही है .<br /><br />यह यूँ ही निर्बाध गति से बहती रहे , यही कामना है ...सुन्दर लेखनसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-4804610877328827852010-09-22T19:07:17.265-07:002010-09-22T19:07:17.265-07:00आपका रुकना साहित्य की हिचकी होगी। इतना सुन्दर लेखन...आपका रुकना साहित्य की हिचकी होगी। इतना सुन्दर लेखन अनवरत बहता रहे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-67022566085566915622010-09-22T18:44:27.005-07:002010-09-22T18:44:27.005-07:00चिरंतन सत्य को उद्घाटित करती कविता का स्वर आशामूलक...चिरंतन सत्य को उद्घाटित करती कविता का स्वर आशामूलक है। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।</b><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/09/2_23.html" rel="nofollow"> अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें</a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-71659381225746993962010-09-22T10:38:36.315-07:002010-09-22T10:38:36.315-07:00जन्म मेरा और ,
शिप्रा के यही तट-घाट होंगे ,
शरद्-प...जन्म मेरा और ,<br />शिप्रा के यही तट-घाट होंगे ,<br />शरद्-पूनो फिर दियों से झलमलाए,<br />द्रोणियों धर दीप लहरों में बहा ,<br />कुलनारियाँ ,आँचल पसार असीस पायें . <br /><br /><br />आनंद हुआ यह पढ़कर...बहुत बहुत धन्यवाद ऐसा सुन्दर लिखने का..Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-69313326949460016862010-09-22T10:23:51.030-07:002010-09-22T10:23:51.030-07:00यह नदी की राह सूखी नहीं,
मेरे अश्रु जल से सिंच रह...यह नदी की राह सूखी नहीं,<br /><br />मेरे अश्रु जल से सिंच रही ,<br /><br />अविराम शिप्रा बह रही है .<br />भावपूर्ण पंक्तियां<br />यहां भी जरूर आइए<br />http://veenakesur.blogspot.com/वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.com