tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post4739391621747602906..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: सायुज्यप्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-64273216293806551522011-02-12T10:15:20.376-08:002011-02-12T10:15:20.376-08:00वाह! शानदार रचना है एकदम...बहुत दिनों से प्रयत्न क...वाह! शानदार रचना है एकदम...बहुत दिनों से प्रयत्न करने बावजूद इस रचना को टाल रही थी..कि..आज नहीं कल पढूंगी....अब स्वयं पर रोष हो रहा है बहुत....:(:/<br />सबसे पहले टिप्पणियाँ पढ़ीं......तो स्वाद समझ आ गया कविता का.....फिर कविता को समझ समझ के पढ़ा..चूंकि हिंदी उतनी अच्छी नहीं...अभी भी कह नहीं सकती कि हर para पूरा समझ आ गया है...हाँ जी मगर जितना समझ आया......वो अद्वितीय है..अदभुत रचना है एकदम..... <br /><br />ये दो लाइन बेहद पसंद आयीं....:डी<br /><br />''और पी लूँ क्योंकि पशु पर वार करते ,<br />कहीं करुणा जाग कर धर दे न पहरा.''<br /><br />क्यूंकि यहाँ कहीं भी नारी ने स्वयं को रोकने की व्यर्थ चेष्टा नहीं की है......बहुत बढियां :)<br /><br />''तुम निरे आवेश के पशु ''<br />''तेरा अहं बलिपशु बना,''<br />''मातृशक्ति समक्ष <br />लालायित ,विमोहित विवश नर पशु<br />तेजहत, असमर्थ होगा. ''<br /><br />आवेश के पशु...अहं बलि पशु...wowwwwwww....... मेरी सब पुरुषों से दुश्मनी नहीं..मगर जो अत्याचारी हैं...उनको उचित दंड देने की समर्थक हूँ.....<br /><br />बहुत बहुत ओजपूर्ण कविता...अविनाश ने कहा कहीं भी वीभत्स नहीं दिखा...मगर मैंने miss किया उस वीभत्सता को...काश वीभत्स और रौद्र भी होता यहाँ.....:)<br /><br />ढेर सारी बधाई....!नमन आपकी तेजस्वी लेखनी को !!Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-13075981922365145302011-01-28T19:23:14.810-08:002011-01-28T19:23:14.810-08:00"या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता"..."या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता" के वर्चस्विनी,तेजस्विनी एवं <br />ओजस्विनी रूप में नारी के स्वरूप का चित्रण मन को आश्वस्त कर गया और अभिभूत भी। आपकी लेखनी को नमन!!शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-3698846212290356932010-12-01T07:30:11.712-08:002010-12-01T07:30:11.712-08:00बहुत प्रभावी रचना के लिये आपको बधाईबहुत प्रभावी रचना के लिये आपको बधाईpalashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-42196522337756392592010-11-25T11:46:48.066-08:002010-11-25T11:46:48.066-08:00बेहतरीन ...एक प्रभावी अभिव्यक्ति जो ओजस्विता और यथ...बेहतरीन ...एक प्रभावी अभिव्यक्ति जो ओजस्विता और यथार्थ का मेल है.....बहुत अच्छी रचना ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-71410476521741032292010-11-23T17:58:25.133-08:002010-11-23T17:58:25.133-08:00बहुत दिनों के बाद इतनी ओजमयी और भाषा समृद्ध कविता ...बहुत दिनों के बाद इतनी ओजमयी और भाषा समृद्ध कविता पढने के लिये मिली ! नारी के जिस तेजस्वी रूप को आपने वर्णित किया है वह निश्चित रूप से वन्दनीय एवं प्रेरणादायी है ! अद्भुत तथा विलक्षण रचना के लिये मेरा अभिनन्दन स्वीकार करें !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-33774470448503706902010-11-23T09:07:00.266-08:002010-11-23T09:07:00.266-08:00आपकी ओजपूर्ण अद्भुत अभिव्यक्ति को सादर नमन!आपकी ओजपूर्ण अद्भुत अभिव्यक्ति को सादर नमन!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-91871393758241508242010-11-22T02:14:22.358-08:002010-11-22T02:14:22.358-08:00चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना मंग...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना मंगलवार 23 -11-2010 <br /> को ली गयी है ...<br />कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-45676973939536645662010-11-20T07:55:38.018-08:002010-11-20T07:55:38.018-08:00अद्भुत रचना। अहं की बलि दे दें, हम सब।अद्भुत रचना। अहं की बलि दे दें, हम सब।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-82073653110404605592010-11-20T03:48:02.930-08:002010-11-20T03:48:02.930-08:00sundar rachna.sundar rachna.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-87726536344482378202010-11-19T23:06:26.198-08:002010-11-19T23:06:26.198-08:00अदम्य!
अलौकिक...!!
सब कुछ धुल गया जैसे अग्नि में.....अदम्य!<br />अलौकिक...!!<br />सब कुछ धुल गया जैसे अग्नि में...ओजस्वी वचन...!!<br />पर इस ओज में कहीं भी वीभत्स रौद्र नहीं दिखा... बलशाली वीररस ही दिखा..<br />बहुत बहुत आभार ऐसा लिखा आपने...Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-13180986742362773282010-11-19T23:02:32.855-08:002010-11-19T23:02:32.855-08:00नारी का यह रूप ...बहुत ओज पूर्ण भाषा मेंदर्शाया ह...नारी का यह रूप ...बहुत ओज पूर्ण भाषा मेंदर्शाया है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com