tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post2776140850955864982..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: धिक्कार - प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-84588578726912723202016-11-01T00:54:49.758-07:002016-11-01T00:54:49.758-07:00waah ! bahut sundar waah ! bahut sundar संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-17070714143052212362016-10-25T17:19:44.535-07:002016-10-25T17:19:44.535-07:00एकदम खून खौलते मन के भाव- एकदम स्वभाविक इन बर्बर ज...एकदम खून खौलते मन के भाव- एकदम स्वभाविक इन बर्बर जानवरों को ऐसी ही धिक्कार जरुरी है...सच कहा यह इन्सान हैं ही नहीं...कलम जब तलवार बन जाये तब ऐसी लेखनी निकलती है...बधाई एवं साधुवाद!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-42220286512987685662016-10-24T12:58:14.769-07:002016-10-24T12:58:14.769-07:00ई-मेल से प्राप्त -
दोनों धिक्कारें सत्य का निरूपण...ई-मेल से प्राप्त -<br />दोनों धिक्कारें सत्य का निरूपण करती हुई , मन को उद्वेलित करती हैं। वर्तमान भारत में विनाशकारी सांप्रदायिकता का भुजंग सर्वत्र विषभरी फुफकारें छोड़ता हुआ आगे बढ़ रहा है । आस्तीन के साँप भी स्वार्थरत होकर शासन के विरुद्ध षड्यंत्रकारी चालें चल रहे हैं ।<br /> यही यथार्थ बेबाक़ होकर प्रतिभा जी ने बख़ूबी चित्रित किया है ,जोमन पर चोट करता है.।बहुत सच्चाई सामने रख दी है । साधुवाद!!<br />शकुन्तला बहादुर <br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-58671708319518098342016-10-22T05:05:52.067-07:002016-10-22T05:05:52.067-07:00काश ! आयातित पूर्वजों और धर्म वाले भारतीय इस सत्य ...काश ! आयातित पूर्वजों और धर्म वाले भारतीय इस सत्य पर कुछ चिंतन कर पाते । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-55736751246413336152016-10-21T21:23:23.071-07:002016-10-21T21:23:23.071-07:00आपके शब्द रो आज जैसे आग उगल रहे हैं ... और उगलें भ...आपके शब्द रो आज जैसे आग उगल रहे हैं ... और उगलें भी क्यों नहीं ... सच पूछो तो ज़्यादातर लोगों के मन में आग है पर उसको सटीक और सार्थक शब्द नहीं मिल पाते जो आपने दिए हैं .... नमन है ऐसे निडर, ओजस्वी, साहसी और मर्म पर प्रहार करते शब्दों को ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-11855221989614259332016-10-21T21:06:57.150-07:002016-10-21T21:06:57.150-07:00सटीक और सुन्दर ।सटीक और सुन्दर ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com