tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post2130315178598635346..comments2023-12-29T02:05:21.545-08:00Comments on शिप्रा की लहरें: देवि,चिर-चैतन्यमयि !प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-83788590024706942372012-02-11T08:34:52.280-08:002012-02-11T08:34:52.280-08:00निकला था अपरावाक् पर खोज करने और भगवती ने आप की इस...निकला था अपरावाक् पर खोज करने और भगवती ने आप की इस कविता तक पहुंचा दिया। कितनी बार सस्वर पढ गया इस रचना को। अशेष धन्यवाद।<br />भाई पाण्डे जी की बात को मेरा समर्थन - ऊर्वशी व श्री अरविन्द दोनो की झलक है। <br /><br />Arun Naik, Vastu Sthapati <br />Vastusindhu.comArun Vyashttps://www.blogger.com/profile/13396506783026795756noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-76045916428762966052011-02-21T00:41:52.199-08:002011-02-21T00:41:52.199-08:00एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
इतनी सुन्...एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...<br />इतनी सुन्दर कविता के लिएआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-84722338429267388482011-02-19T22:48:56.856-08:002011-02-19T22:48:56.856-08:00वाह! ऐसा ही कुछ दिनकर जी को पढ़ कर लगा था ऊर्वशी मे...वाह! ऐसा ही कुछ दिनकर जी को पढ़ कर लगा था ऊर्वशी में! <br />श्री अरविन्द का गद्य-काव्य पढ़ते भी ये ही अनूभूति हुई थी!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-6923025572509844072011-02-19T21:28:27.664-08:002011-02-19T21:28:27.664-08:00मै स्वयं मे संपूर्ण अजरा अक्षरा हूँ !
काव्य के बसं...मै स्वयं मे संपूर्ण अजरा अक्षरा हूँ !<br />काव्य के बसंती रंग और रस मे सराबोर सुन्दर अभिव्यक्तिनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-86125646245145385602011-02-18T18:07:33.793-08:002011-02-18T18:07:33.793-08:00साक्षी मैं और दृष्टा हूँ निरंतर ,
ऊर्जस्विता ,अनिर...साक्षी मैं और दृष्टा हूँ निरंतर ,<br />ऊर्जस्विता ,अनिरुद्ध मैं अव्याकृता हूँ ..<br /><br />वाह ! अद्भुत काव्य सौन्दर्य !<br />बधाई !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-26310769095799151932011-02-13T11:34:28.579-08:002011-02-13T11:34:28.579-08:00बहुत बहुत सुंदर रचना.....हर एक शब्द जैसे आपके ह्रद...बहुत बहुत सुंदर रचना.....हर एक शब्द जैसे आपके ह्रदय से होकर आया है.....साथ लाया है गहन अर्थ और अनुभूतियाँ....मैं तो कोई पंक्ति चुन ही नहीं पायी ..पूरी कविता इतनी पसंद आई...मन्त्र मुग्ध सी टाइप कर रही हूँ अपने शब्द......<br /><br />माँ सरस्वती स्वयं भी पढ़ेंगी तो हर्षित हो उठेंगी........:)<br /><br />सुंदर, उत्तम और मनमोहक रचना के लिए बधाई...<br />माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे यूँ ही आप पर सदा !!Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-78671697390290859692011-02-13T04:51:52.922-08:002011-02-13T04:51:52.922-08:00माँ शारदा की कृपा है आप पर ! शुभकामनायें !
कृपया...माँ शारदा की कृपा है आप पर ! शुभकामनायें ! <br /><br />कृपया प्रोफाइल परिचय में फोटो का साइज़ बड़ा करें , साइज़ लगभग १०० के बी का ठीक रहता है ! जहाँ तक मुझे याद है आपने फिलहाल दो या तीन ब्लॉग पर ही अपडेट करने का निर्णय लिया हुआ है ! कृपया बाकी ब्लॉग छुपाने के लिए ..<br />- डेशबोर्ड <br />-एडिट प्रोफाइल <br />-सेलेक्ट ब्लोग्स टू डिस्प्ले <br />- सेव करेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-80462472016043172262011-02-11T11:55:47.470-08:002011-02-11T11:55:47.470-08:00बहुत ही हृदयस्पर्शी, सम्गीतमय, लय, छन्द, ताल सहित ...बहुत ही हृदयस्पर्शी, सम्गीतमय, लय, छन्द, ताल सहित गेय कविता है।<br />सच में...<br /><br />एक निवेदन:-<br />मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओरhttps://www.blogger.com/profile/01360818390523348171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-74905817445870497412011-02-09T11:30:50.591-08:002011-02-09T11:30:50.591-08:00अद्भुत!! मनोमुग्धकारी स्तुति!!!
दिव्यरूपा वाग्द...अद्भुत!! मनोमुग्धकारी स्तुति!!!<br /><br /> दिव्यरूपा वाग्देवी को सादर शतशः नमन।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-79548555286220773162011-02-08T08:34:05.040-08:002011-02-08T08:34:05.040-08:00माँ को नमन!
बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!माँ को नमन!<br />बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-84405073959975087722011-02-08T01:11:46.356-08:002011-02-08T01:11:46.356-08:00साक्षी मैं और दृष्टा हूँ निरंतर ,
ऊर्जस्वित ,अनिरु...साक्षी मैं और दृष्टा हूँ निरंतर ,<br />ऊर्जस्वित ,अनिरुद्ध मैं अव्याकृता हूँ !<br />काल बेबस निमिष-निमिष निहारता,<br />मै स्वयं मे संपूर्ण अजरा अक्षरा हूँ !<br />अप्रतिहत मै, सहित, द्वंद्वातीत हूँ मै,<br />मै सतत चिन्मयी अपरूपा गिरा हूँ !<br /><br />आनंद, आनंद और आनंद... आज बहुत अभिलाषा थी कि आपका लिखा कुछ ऐसा पढ़ सकूँ। आपने अनुग्रहित किया, धन्यवाद।<br /><br />वसंतपंचमी कि हार्दिक शुभकामनायेंAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-83197433958375374242011-02-08T01:02:03.555-08:002011-02-08T01:02:03.555-08:00पढ़कर ज्ञानतंतु हिल गये, लग गया कि माँ शारदे का बस...पढ़कर ज्ञानतंतु हिल गये, लग गया कि माँ शारदे का बसंत आ गया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-42958586098607127972011-02-07T23:15:25.635-08:002011-02-07T23:15:25.635-08:00tareef karne ke liye shabd hi nahin hain.....kya l...tareef karne ke liye shabd hi nahin hain.....kya loikhoon...mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3160220647065410925.post-6225229911066178112011-02-07T22:01:59.824-08:002011-02-07T22:01:59.824-08:00कित्ती सुन्दर कविता....वसंत पंचमी तो बहुत प्यारा त...कित्ती सुन्दर कविता....वसंत पंचमी तो बहुत प्यारा त्यौहार है..इसके साथ मौसम भी कित्ता सुहाना हो जाता है. वसंत पंचमी पर ढेर सारी बधाई !! <br /><br />_______________________<br />'पाखी की दुनिया' में भी तो वसंत आया..Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.com